📖 पाठ संख्या १ : नींव की ईंट (पृष्ठा 1-9)
✏️ रामवृक्ष बेनीपुरी
• सुघड़ : सुडौल, सुंदर आकार वाला।
• इमारत : बड़ा पक्का मकान।
• चकमक : चमकीलापन।
• बरबस : बलपूर्वक।
• पुख्तापन : मजबूती, दृढ़ता।
• बेतहाशा : शीघ्रता से, जल्दी ही।
• मुनहसिर : आश्रित, निर्भर।
• विलीन : मिटा देना।
• शोहरत : प्रसिद्धि, यश।
• ईसा : ईसा मसीह, जिन्होंने ईसाई धर्म का प्रवर्तन
प्रचार किया था।
• दधीचि : एक प्रसिद्ध ऋषि, जिन्होंने अपनी हड्डियां
का दान देवराज इंद्र का व्रज बनाने के
लिए कर दिया था।
• अनुप्राणित : प्ररित, प्रोत्साहित।
• वासना : तीव्र इच्छा, कामना।
• कंगुरा : महल या भवन का सबसे ऊपरी भाग,
शिखर का अंश।
• नींव : महल, भवन आदि का सबसे नीचे का भाग,
बुनियाद।
• लोक--लोचन : लोगों की आँखें।
• अस्ति - नास्ति : होना न होना, अस्तित्व।
• पायदारी : टिकाऊपन।
• अधंकूप : अंधकार भरा नीचा स्थान।
• शहादत : बलिदान।
• कलश : मंदिर आदि का सबसे ऊपरी भाग।
• आजाद : स्वाधीन, स्वतंत्र।
• उत्सर्ग : न्योछावर, बलिदान।
• वृत्रासुर : एक अत्याचारी राक्षस।
• मूढ़ : मूर्ख, बेवकूफी पूर्ण।
• अफसोस : दुख।
• होड़ा - होड़ी : प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगिता।
• अभिभूत : आनन्द - मग्न
• चुनौती : ललकार।
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